अपने दोस्त की बीवी और उसकी लड़की को रखेल बना लिया

सभी दोस्तों को मयंक का नमस्कार. मैं नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम का नियमित पाठक रहा हूँ. ये मेरी दूसरी कहानी है. पिछले महीने मैंने १ कहानी लिखी थी जो पाठकों ने बहुत पसंद की थी. तो आपको सीधे कहानी सुनाता हूँ.

राजीव मेरा जिगरी दोस्त था. उसकी बीवी सुधा को मैं भाभीजी कहता था, उसकी १६ साल की एक बहुत की मस्त जवान लड़की थी मोहिनी. राजीव मेरे घर के बगल ही रहता था. वो बस ड्राईवर था और मै कनडकटर था. हम दोनों बचपन के दोस्त थे. हमारी दोस्ती की लोग मिसाल देते थे की मयंक और राजीव की जोड़ी तो जैसे शोले की जय और वीरू की जोड़ी है. मेरी अभी शादी नही हुई थी जबकि राजीव की शादी आज से १८ साल पहले को गयी थी और उसकी लड़की मोहिनी १६ साल की हो गयी थी. खैर सब कुछ अच्छा चल रहा था की एक दिन बड़ा बुरा हो गया. १ हफ्ते की छुट्टी लाकर मैं गांव चला गया और इधर राजीव की बस का एक बड़ा भीषण एक्सीडेंट लखनऊ के पास हो गया. इस हादसे में मेरी जिगरी दोस्त राजीव की जान चली गयी और उसकी बीवी सुधा विधवा हो गयी और उसकी बेटी मोहिनी इस हादसे में अनाथ हो गयी.

जब मैं राजीव के घर गया तो सुधा मेरे सीने से लिपट गयी और जोर जोर से दहाड़ मार के रोने लगी मयंक भाईसाहब !! अब मेरा क्या होगा?? अब मैं कहाँ जाउंगी?? सुधा भाभी दहाड़ मार के रोने लगी तो मैं भी भावुक हो गया. मैं भी चीख चीख कर रोने लगा. हे उपरवाले !! ये तुने क्या किया?? सुधा भाभी को बेवा कर दिया और मोहिनी बेटी को अनाथ कर दिया. मैं भी बहुत रोया. खैर किसी तरह जिंदगी चलने लगी. क्यूंकि दोस्तों, एक से एक बड़ी से बड़ी हस्तियाँ मौत के मुंह में चली गयी पर ये दुनिया ना कभी रुकी है और ना कभी रुकेगी. मैं बस पर काम करने लगा. अब उत्तर प्रदेश बस परिवहन विभाग ने एक नया बस ड्राईवर भेज दिया था जो मेरी बस को चलाता था. मेरा काम तो वही बस कनडकटरी का था. अब वो हसी मजाक वाली बात ना थी. राजीव और मैं सारा दिन हसी मजाक करते रहते थे, तो दिन यूँ कट जाता था. खैर मैं अपनी जिंदगी जीने लगा. हर शाम जब ड्यूटी खतम होती तो सुधा भाभी के घर जाता और हाल चाल लेता. वो जो भी काम देती मैं कर देता. कभी उनकी सब्जी ले आता. कभी उसका गेहूं पिसा देता, मोहिनी बेटी की फ़ीस जमा कर देता.

जैसे जैसे दिन बीतने लगे वैसे वैसे मन हुआ की अगर मैं सुधा भाभी को पटा लूँ तो चूत का परमानेंट इंतजाम हो जाए. एक दिन मैं जब राजीव की बेवा सुधा भाभी से मिलने गया तो वो रोने लगी. ६ महीनो से उन्होंने कमरे का किराया नही भरा था. मेरे कंधे पर सिर रखकर रोने लगी.

सुधा भाभी !! तुम बिलकुल परेशान मत हो. मैं कुछ इंतजाम करता हूँ. मैंने कहा.

अगले दिन मैं बैंक से २५००० रुपये निकाल निए. सुधा का ६ महीने का किराया भर दिया. और ६ महीने का अडवांस में भर दिया. सुधा भाभी मेरे अहसान तले अब दब गयी. जब उनके घर जाता तो कभी भी बिना चाय पिलाये मुझको ना आने देती थी. दोस्तों, अब तो हर रात सुधा मुझे सपने में दिखने लगी. मैं उसकी चुदाई कर रहा हूँ, सुधा मुझे पुरे तन मन धन से प्यार कर रही है, मैं यही हर रात सपने में देखने लगा. कुछ दिन बाद मैं उसके घर गया तो वो कहने लगी की स्कूल वालों ने उसकी बेटी मोहिनी का नाम काट दिया है क्यूंकि ३ महीने से उसकी फ़ीस जमा नही हो पायी है. इस पर मैंने भी दांव खेल दिया.

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सुधा ! मुझसे तुम शादी कर लो. अब मैं तुमको और कष्ट उठाते हुए नहीं देख सकता. मैं तुमको पति का प्यार दूँगा और मोहिनी को बाप का प्यार दूँगा. मैं आज जान बुझ पर उसको सुधा भाभी नही पुकारा और केवल सुधा बुलाया. सुधा इस पर भौचक्की रह गयी. पर धीरे धीरे बात बन गयी. उसकी माँ जब घर आई तो सुधा ने उनको बताया की मैं उससे शादी करना चाहता हूँ तो उसकी माँ भी मान गयी. जबकि मैं एक तीर से २ शिकार करना चाहता था. सुधा और उसकी बेटी मोहिनी दोनों को चोदना पेलना चाहता था. यही मेरा एक मात्र मकसद था. हम दोनों से मंदिर में जाकर शादी कर ली. मोहिनी भी मान गयी. बिना किसी धूम धड़ाके के मैं उससे मंदिर में शादी कर ली.

सुहागरात वाले दिन सुधा कुछ अपसेट थी.

मयंक!! मुझे तुम्हारे साथ सोने में कुछ वक्त लगेगा. मैं तुमको हमेशा अपना छोटा देवर ही समझा है !! वो बोली.

कोई बात नही सुधा. मैं तुमसे शादी अपने सुख के लिए नही की है. बल्कि तुम्हारी सेवा के लिए की है. मैंने तुमसे शादी राजीव की आत्मा को सुख पहुचानें के लिए की है मैंने कहा और एक बार फिर से मगरमच्छ जैसे आँशू बहाने लगा. ४ दिन तक सुधा ने मुझको चूत नही दी. वो राजिव की याद में रोटी बिलखती रही. पर फिर सब कुछ सही हो गयी.

मैं तैयार हूँ अब मयंक. मैं आपको तन और मन से भी आपको अपना पति स्वीकार कर लिया है  सुधा बोली. दोस्तों, मैं तो अपनी सुधा की चूत मारने के लिए कबसे बेक़रार था. कबसे मैंने ये सपना संजो के रखा था. सुधा बिलकुल मक्कन की टिकिया जैसी थी. शादी के ४ दिन मैंने उसके साथ अपनी सुहागरात मनाई. जिन लाली लगे होंठ को देख के मैं मुठ मार लेता था, आज वो होंठ मेरे थे. सबसे पहले तो मैंने सुधा के होंठो को खूब पिया. वो बचती रही मैं उसके दोनों चिकने गालों को हाथ में लेकर उसके होंठ पीता रहा.

नही जी होंठ पर नही ! वो बोली.

सुधा! अब तुम मेरी पहले वाली भाभी नहीं हो. अब तुम मेरी बीवी हो. अब मेरा तुमपर पूरा हक है, मुझे मत रोको मैंने कहा और अपनी बातों में उसे फस लिया. खूब जी भरके मैंने उसके रसीले होंठों का रसपान किया. फिर मैं उसका ब्लौज़ उतार दिया. उसके मम्मे खूब बड़े बड़े ३६ साइज़ के थे. जिन मम्मो को देख देख के मैं हाथ से मुठ मारा करता था , अब वो मेरी मिलकियत हो चुके थे. सुधा ना नुकुर करती थी. मैंने दोनों मम्मे पीता रहा. उसके बाद मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया. उसकी पैंटी उतार दी. सुधा के दोनों पैर मैंने खोल दिए जैसे सुबह सुबह अखबार पढ़ने वाले अखबार खोल देते है. आज भी उसकी फिगर मेंटेन थी. मेरा काला कलूटा लंड तो कबसे सुधा को चोदने को बेक़रार हो रहा था. मैं सुधा की चिढिया देखी. बड़ी छोटी सी मासूम सी चिड़िया[चूत] थी उसकी. आज भी सुधा के दोनों मम्मे अच्छे खासे कसे कसे थे. मैं उसकी मम्मो को खूब दबाया. उसकी निप्लस को हाथ की उँगलियों से खूब मसला मैंने. वो बिस्तर पर खूब तडपी दोस्तों. जिस सुधा भाभी को देख देख के मैंने ना जाने कितनी बार मुठ मारा था आज मैंने उसको पाने पास बिलकुल नंगा कर लिया था.

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मेरे बाहू पाश में वो बिना कपड़ों के थी, लग रहा था की जिंदगी की सारी बेशकीमती दौलत मेरे हाथ लग गयी हो. सुधा की एक एक पसलियां, उनके कमर की हत्थियाँ, उसकी कॉलर बोने सब मुझको दिख रही थी. मैंने उसको सीने से लगा लिया और खूब प्यार किया. घंटों हम दोनों नए नए मिया बीवी बने २ प्राणी एक दूसरे से लिप्टा लिपटी करते रहे. आखिरकार अब मैं उसको चोदने की तयारी कर रहा था. मैंने जब उसकी चिकनी टाँगे खोल दी और उसकी चिड़िया[ चूत] का दीदार किया तो वो लजा गयी. अपने चेहरे को उसने अपने हाथ से ढक लिया.

कोई बात नहीं सुधा!! मैंने कहा. उसकी चिड़िया[ चूत] पर मैंने ज्यूँ ही अपनी उँगली फिराई जो उसकी चूत में कंपन होने लगा. मैंने और २ ४ बार सुधा की चूत पर उपर से नीचे ऊँगली फिराई, वो तडप गयी. फिर मैंने अपना मुह उसकी चिड़िया पर लगा दिया और उसकी बुर पीने लगा. सुधा ने एक बार भी मेरी ओर नही देखा. बल्कि अपने हाथों से अपने मुंह को ढके रही. सुधा राजीव को बहुत प्यार करती थी. मेरे बेडरूम में भी राजीव की फोटो उसने लगा ली थी. राजीव के फोटो के सामने ही मैं उसको चोदने जा रहा था. राजीव की आत्मा अगर मुझे देख रही होगी तो मन ही गाली दे रही होगी की दोस्त मैंने तुझे क्या समझा था, तू क्या निकला.

मैंने अपना उफनता लंड आखिर सुधा के भोसड़े पर रख दिया और अंडर ढेल दिया. लंड अंदर प्रविष्ट हो गया. मैं सुधा को पेलने लगा. मैं चाहता था की वो मेरी ओर देखे. उसकी आँखों में देखते हुए उसको मैं जमकर चोदूं, पर ऐसा ना हो सका दोस्तों. मैंने कहा कोई नही चूत तो उसने दी. यही क्या कम है. मैं फट फट का शोर करके उसको चोदने लगा. मेरी कमर उसके पुट्ठों से जल्दी जल्दी लड़ रही थी और फट फट का शोर कर रही थी. मैं सुधा को जोर जोर से पेल रहा था. उसने अपने बालों को खोल रखा था, वो क़यामत लग रही थी. फिर मैंने रफ़्तार बढा दी और जल्दी जल्दी उसको चोदने लगा. मेरा मोटा काला कलूटा लंड उसकी गोरी छूट को मार रहा था. मैं उसके बूब्स सहलाते दबाते, मींजते मसलते हुए उसको चोद रहा था. कुछ मिनट बाद मैंने उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया.

अपनी नई नई बीवी बनी सुधा भाभी को अब दूसरी तरह से पेलने का समय आ गया था. मैं नीचे लेट गया और सुधा को अपने लंड पर बैठा लिया. जैसे ही वो मेरे खड़े शख्त लंड पर बैठी २ सेकंड के लिए उसे दर्द हुआ, उसे लगा की कोई मोटा खुट्टा उसके भोसड़े में घुस गया हो. उसकी नाभि का छेद देख के मैं मचल गया. बड़ी सुंदर नाभि थी उसकी.

सुधा !! अब मुझको चोदो !! मैंने कहा.

धीरे धीरे सुधा मेरे लंड पर उट्ठक बैठक लगाने लगी. उसके खुले काले घने बाल चारों ओर बिखर गए थे. मुझे वो दुनिया की सबसे कमनीय, चुदासी, और कमाल की औरत लग रही थी. मैंने तो उसके रूप और सुंदरता पर मर मिटा था. गोरे गोरे उसके चिकने गाल, गलों पर डिम्पल, उसके रसीले होंठ, उसका ये नंगा महकता बदन, उसके चिकने नंगे गोल कंधे मन कर रहा था बस लंड पर बैठाए दिन रात उसको चोदता ही रही. काम पर भी ना जाऊ. बस यही मेरा दिल कर रहा था दोस्तों. धीरे धीरे सुधा मेरे लंड पर हिचकोले खाने लगी. मुझे चोदने लगी. इधर मैं भी नीचे से अपना बल लगता जिससे मेरा लंड गप्प गप्प उसकी बुर को भांज और मांज रहा था. यादकर थी वो मेरी सुहागरात सुधा के साथ. जहाँ वो अपनी कमर और पिछवाडा उठाकर खुद को चुदवा रही थी, वही मैं भी अपनी ताकत लगा रहा था और खप्प खप्प उसको पेल रहा था. लग रहा था वो किसी घोड़े पर बैठी और घुड़सवारी कर रही है. मेरे लंड का घोड़ा उसकी चूत में बड़ी जल्दी जल्दी दौड़ लगा रहा था.

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कुछ देर बाद सुधा की कमर नाचने लगी और मस्त चुदाई होने लगी. करीब १ घंटे बाद मैंने अपने रस की ताज़ी ताज़ी और गर्म गर्म फुहारे उसकी योनी में छोड़ दी. हमारी सुहागरात दोस्तों पूरी और सम्पूर्ण हो गयी. एक दिन सुधा जब बाहर गयी हुई थी तो मैंने उसकी बेटी मोहिनी को पटाया. उसकी बेटी अब मेरी बेटी बन गयी थी. मैंने उसके बालों में तेल लगा दिया. उसकी चोटी बाँध दी. मैंने उसको स्कूल के लिए तैयार करते हुए उसके मम्मे भी दाब दिए. मोहिनी नादान थी. कुछ समझ ना पायी. धीरे धीरे मैंने मोहिनी को भी पटा लिया दोस्तों.

मोहिनी बेटे! तुमको जादू देखना है ?? मैंने पूछा

हाँ मयंक अंकल दिखाओ दिखाओ ! वो बोली. जब राजिव जिन्दा था तक मोहिनी मुझको अंकल अंकल कहकर बुलाती थी. उसकी वही आदत पड़ी थी. वो अभी मुझको पापा नही कहती थी.

मोहिनी बेटी !! इस जादू में जरा दर्द होगा, पर बाद में मजा खूब आएगा !! मैंने कहा.

ठीक है मयंक अंकल!! मोहिनी बोली.

मेरा दिल जब १६ साल की इस कच्ची कली कर पा आ गया. मैं मोहिनी को अंडर बेडरूम में ले गया. उसके सारे कपड़े उतार दिए. उसके नए नए मम्मो को मैंने खूब पिया. कहीं सुधा बाजार से ना लौट आये, मैंने सोचा जल्दी से मोहिनी को चोद लो गुरु. मैं झट से उसकी टाँगे फैलाई, उसकी कुंवारी बुर पर लंड रखा और लंड को अंडर की ओर दबाया. माँ कसम!! दोस्तों, मोहिनी रोने लगी. मेरे लोहे जैसे लंड से उसकी चूत की दीवार को तोड़ दिया. वो रोटी रही. मैंने उसको चोदने लगा. एक बार तो लगा की उसकी कुंवारी चूत में मैं अपना लंड नही चला पाउँगा, पर अंत में कामयाबी मिल गयी. मैंने १५ २० मिनट राजीव की बेटी मोहिनी को चोद लिया. फिर बाथरूम में जाकर उसको नहला दिया.

मोहिनी बेटी !! ये बार किसी से कहना नही. ये गंदी बात होती है !! मैंने उसको समझाया.

मोहिनी से किसी से नही कहा. १ हफ्ते बाद मैंने मोहिनी को बेडरूम में जाकर हर तरह से तरह तरह के पोज में चोदा, उसको खुब मजा आया. क्यूंकि उसकी सिटी तो मैंने पहले ही खोल दी थी. दोस्तों , अब मेरे दोनों हाथों में लड्डू था, इधर सुधा को पेलता था , उधर जब सुधा बाहर गयी होती थी, उसकी बेटी मोहिनी की चूत मैं बजाता था. दोनों माँ बेटी को मैंने अपना रखेल अब बना लिया था. दोस्तों, अगर आपको मेरी ये कहनी पसन्द आये तो नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर कॉमेंट लिखकर अपनी राय जरुर दे. थैंक यू सो मच.



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